जालंधर समेत इन शहरों में ED की रेड, अवैध ड्रग्स बिक्री से जुड़ा है मामला, जालंधर, लुधियाना, बरनाला, चंडीगढ़ और मुंबई तक फैला नेटवर्क
ईडी की बड़ी कार्रवाई, डॉ. अमित बंसल के 22 नशा छुड़ाओ केंद्रों पर एकसाथ छापेमारी
ड्रग्स की अवैध सप्लाई के साथ मनी लॉन्ड्रिंग भी की जा रही थी, PMLA के तहत कार्रवाई
इस केस में लुधियाना की ड्रग इंस्पेक्टर रूपप्रीत कौर को भी सह-आरोपी बनाया गया है
रूपप्रीत कौर की गिरफ्तारी अभी लंबित है, लेकिन पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जा चुके हैं
ईडी की छापेमारी से स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और नशा मुक्ति की कार्यप्रणाली पर सवाल
चंडीगढ़/जालंधर :
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नशा मुक्ति केंद्रों की आड़ में चल रहे ड्रग्स की अवैध बिक्री और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सोमवार सुबह से डॉ. अमित बंसल के 22 नशा छुड़ाओ केंद्रों पर एक साथ रेड की कार्रवाई शुरू की। यह कार्रवाई जालंधर, लुधियाना, बरनाला, चंडीगढ़ और मुंबई में की गई है। ईडी की टीमें फिलहाल केंद्रों की फाइनेंशियल डिटेल्स, दवा स्टॉक, मरीजों का रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजैक्शनों की गहन जांच कर रही हैं। यह कार्रवाई देर रात तक चलने की संभावना है।
7 महीने पहले हुई थी डॉ. बंसल की गिरफ्तारी
इस पूरे मामले की जड़ें तब सामने आईं जब पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने करीब 7 महीने पहले चंडीगढ़ निवासी डॉ. अमित बंसल को गिरफ्तार किया था। बंसल पर आरोप है कि वह नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों को दी जाने वाली मेडिकेशन का दुरुपयोग कर रहे थे और इन दवाओं को बाहर अवैध रूप से बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे थे।
ड्रग्स की बिक्री और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
ईडी को शक है कि इन केंद्रों के माध्यम से ड्रग्स की अवैध सप्लाई के साथ-साथ उससे जुड़ी ड्रग मनी को सफेद करने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) भी की जा रही थी। इस कारण ईडी ने PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत कार्रवाई करते हुए यह छापेमारी शुरू की।
ड्रग इंस्पेक्टर रूपप्रीत कौर भी सह-आरोपी
इस केस में लुधियाना की ड्रग इंस्पेक्टर रूपप्रीत कौर को भी सह-आरोपी बनाया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूपप्रीत कौर की गिरफ्तारी अभी लंबित है, लेकिन उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जा चुके हैं।
22 नशा छुड़ाओ केंद्रों की भूमिका संदेह में
छानबीन में सामने आया है कि डॉ. बंसल के स्वामित्व वाले 22 नशा छुड़ाओ केंद्रों में मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों का स्टॉक और वितरण पैटर्न संदेहास्पद था। इन केंद्रों के माध्यम से ऑपियोइड जैसी दवाओं का कंट्रोल्ड रजिस्ट्रेशन के बिना वितरण किया जा रहा था, जो कि सीधे-सीधे NDPS Act का उल्लंघन है।
राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर हड़कंप
ईडी की इस छापेमारी से स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और नशा मुक्ति व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और नाम इस नेटवर्क से जुड़ सकते हैं, और छापों का दायरा और बढ़ाया जा सकता है।