Water level in Sutlej

सतलुज में जल स्तर सामान्य, फिर भी डरे गांव वासी, देश का आखिरी गांव कालूवाला तीन साल पहले बाढ़ से हुआ था तबाह

Written by:

Nischal Nayyar

Last Updated: July 11 2025 02:52:26 PM

सतलुज में जल स्तर सामान्य, फिर भी डरे गांव वासी, देश का आखिरी गांव कालूवाला तीन साल पहले बाढ़ से हुआ था तबाह

सतलुज में जल स्तर सामान्य फिर भी डरे गांव वासी देश का आखिरी गांव कालूवाला तीन साल पहले बाढ़ से हुआ था तबाह

सतलुज में जल स्तर सामान्य, फिर भी डरे गांव वासी, देश का आखिरी गांव कालूवाला तीन साल पहले बाढ़ से हुआ था तबाह

बाढ़ के पानी ने किसानों की हजारों एकड़ खेती वाली जमीन को बंजर बना दिया और खेत हजारों लाखों टन रेत से ढके गए थे

दरिया पार बसे उस गांव के करीब आधे से कहीं अधिक घर कई दिनों तक पानी में डूबे रहे या फिर पानी से जमीन पर गिर गए

सैंकड़ों एकड़ जमीन दरिया में समा गई थी, तो पहले की तरह से घर से निकलने और सामान बचाने का भी मौका नही मिलेगा

अभी बाढ़ का खतरा नहीं है और दरिया का जलस्तर भी सामान्य है, किसी को भी घबराना नहीं चाहिए : सुपरिटैंडैंट इंजीनियर

पंजाब डेस्‍क : 

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांव कालूवाला के पुराने जख्म अभी भरे भी नही थे कि अब उन्हे फिर से बाढ़ आने का खतरा सताने लगा है क्योंकि बीते 3 साल पहले सतलुज में आई भयानक बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया था। इतना ही नहीं बाढ़ के पानी ने किसानों की हजारों एकड़ खेती वाली जमीन को बंजर बना दिया और खेत हजारों लाखों टन रेत से ढके गए थे। इसके अलावा सैंकड़ों एकड़ जमीन दरिया में समा गई थी। दरिया पार बसे गांव के करीब आधे से कहीं अधिक घर कई दिनों तक पानी में डूबे रहे या फिर पानी से जमीन पर गिर गए। जिसकी भरपाई अभी तक भी शायद नही हो पाई। 

बदलते मौसम और बरसात को देखकर सहमे गांव वासी

सालों बीत जाने के बाद भी दरिया किनारे बसे गांव वाले बदलते मौसम और बरसात को देखकर सहमे हुए है की कहीं पहले की तरह ही पीछे से पानी ना छोड़ दिया जाए और यदि ऐसा हुआ तो उन्हें पहले की तरह से घर से निकलने और अपना सामान बचाने का बी मौका नही मिलेगा। घर कई कई दिनों तक सतलुज दरिया के गहरे पानी में डूबे रहे और हालात ये बने गए कि घरों के लैंटर और दीवारे गिर गई।

घरों के अंदर और खेतों में छह से सात फुट तक रेत ही रेत

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे सतलुज दरिया के उस पार बसे गांव में भरे बाढ़ के पानी के कारण धस गए। इसके अलावा पूरे गांव में किसानों के घरों के अंदर और खेतों में छह से साथ फुट तक रेत ही रेत भर गई थी जिस कारण गांव में रहने वालों को खेती से हाथ धोना पड़ा और घर भी बर्बाद हो गए। सबसे बड़ा डर तो ये है की वर्ष 1988 की तरह कहीं रात को बाढ़ आ गई तो उन्हे गांव से निकलने का अवसर भी प्राप्त नही होगा।

बाढ़ पीड़ितों के मसीहा बने थे पूर्व संसदीय सचिव सुखपाल

बाढ़ पीड़ितों के लिए उस समय पूर्व संसदीय सचिव सुखपाल सिंह नन्नू मसीहा बनकर मैदान में उतरे थे। नन्नू ने पीड़ित परिवारों के लिए खाने कपड़े, राशन, पीने के लिए स्व्चछ पेय जल पर 25 लाख रुपये से भी अधिक खर्च किए थे। नन्नू ने उन सभी पीड़िंतो के लिए जिनके घर पानी में बह गए या फिर टूट गए थे उनके रहने के लिए अपने ग्रह निवास ममदोट हाऊस के दरवाजे खोल दिए थे जहां दर्जनों परिवार रहते भी रहे जो दरिया का पानी उतरने के बाद वापिस गांव चले गए थे।

अभी बाढ़ का खतरा नहीं, जलस्तर सामान्य : संदीप गोयल 

जल स्त्रोत विभाग के सुपरिटैंडैंट इंजीनियर संदीप गोयल का कहना है कि अभी बाढ़ का खतरा नहीं है और दरिया का जल स्तर भी अभी तक सामान्य ही है। अभी तक हरिके हैडवर्क का डाउन स्ट्रीम चल रहा जोकि इस समय 2036 है। पानी को ईस्टर्न कनाल ओर बीकानेर कनाल में छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा हुसैनीवाला का डाउन स्ट्रीम जीरो बताया गया है। अभी तक फ्लड वाटर कोई नहीं आया है और हालात सामान्य चल रहे है। किसी को भी घबराना नहीं चाहिए।

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