संगरूर से गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में शून्य काल के दौरान दवाइयों की अधिक कीमतों का मुद्दा उठाया
एक ही दवा 3 रुपये में बनती है, लेकिन कोई कंपनी उसे 10 रुपये में, तो कोई 50 रुपये में बेच रही है
ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के तहत कुछ आवश्यक दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण किया गया है
दवाइयों की अधिक कीमत के चलते 300 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का मुनाफा कमाया जा रहा है
चंडीगढ़/नई दिल्ली।
संगरूर से आम आदमी पार्टी के लोकसभा सदस्य गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में शून्य काल के दौरान दवाइयों की अधिक कीमतों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि एक समान रासायनिक संरचना वाली दवाइयों की कीमतों की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए। उन्होंने कहा कि बीमारियों के इलाज के लिए एक जैसे रसायनिक घटकों वाली दवाएं कई कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं, लेकिन उनकी कीमतें अलग-अलग होती हैं। यही कारण है कि एक ही दवा 3 रुपये में बनती है, लेकिन कोई कंपनी उसे 10 रुपये में, तो कोई 50 रुपये में बेच रही है।
दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण किया
मीत हेयर ने शून्य काल में स्वास्थ्य से जुड़ा एक अहम विषय उठाते हुए कहा कि ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO), 2013 के तहत कुछ आवश्यक दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण किया गया है, लेकिन जिन दवाइयों का उपयोग सबसे अधिक होता है, जैसे उच्च रक्तचाप और शुगर जैसी बीमारियों में दी जाने वाली दवाएं- उन पर कीमत नियंत्रण लागू नहीं है।
1000 रुपये तक का मुनाफा कमाया
मीत हेयर ने कहा कि यह पूरे देश की एक साझी समस्या है, जहां दवाइयों की अत्यधिक कीमतों के चलते 300 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का मुनाफा कमाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि कम से कम एक समान रासायनिक संरचना वाली दवाइयों की अधिकतम कीमत तय की जाए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।